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Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi | चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय

Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi : चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय में चंद्रशेखर आजाद के जीवन से जुड़ी अनोखी घटनाएं जिन्हें सुनने के बाद आपका खून खौल उठेगा. चन्द्र शेखर आजाद भारत के वो क्रन्तिकारी हैं जिन्होंने 15 वर्ष की उम्र में आजादी की लड़ाई में अपने आपको झोंक दिया. 13 वर्ष की उम्र में घर छोड़ दिए और देश में अंग्रेजो के अत्याचार के बारे में पत्रिका में पढ़ें और गाँधी जी के असहयोग आंदोलन 1921 में भाग लिए. उस समय चंद्रशेखर आजाद मात्र 15 वर्ष के थे.

 

Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi

हमारे महान क्रन्तिकारी चन्द्र शेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में स्थित भावरा गांव (वर्तमान अलीराजपुर में मध्य प्रदेश) में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम सीताराम तिवारी और माता का नाम जगरानी देवी था. इनके पिता एक योग्य पंडित और माता गृहणी थी. आजाद (Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi) बचपन से ही क्रन्तिकारी थे. चंद्रशेखर आजाद 1919 में हुए जालिया वाला बाग नरसंहार से अत्यधिक प्रभावित हुए. अंग्रेजों के द्वारा किये जाने वाले अत्याचार का बदला लेने के लिए गाँधी जी के असहयोग आंदोलन में पहली बार भाग लिए इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा लेकिन उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया और यही से उन्हें गाँधी जी से भी प्रेरणा मिली फिर एक प्रतिज्ञा किये कि मरते दम तक देश की आजादी के लिए लड़ेंगे और कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे.

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Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi
नाम चंद्रशेखर आजाद
अन्य नाम पंडित हरिशंकर तिवारी
जन्म 23 जुलाई 1906
निधन 27 फरवरी 1931, अल्फ्रेड पार्क इलाहबाद
जन्म स्थान भावरा गांव (अलीराजपुर जिला वर्तमान मध्यप्रदेश )
पिता पंडित सीताराम तिवारी
माता जगरानी देवी
भाई ज्ञात नहीं
उपलब्धि (महत्वपूर्ण घटनाएं) 1919 असहयोग आंदोलन में भाग, 1922 में चौरी चौराकाण्ड में सहयोगी, 9 अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड में शामिल,
संस्था हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के सदस्य

 

चंद्रशेखर आजाद जब पहली बार जेल गए तो अदालत में पेश किया गया और इनसे इनका नाम पूछा गया तो चंद्रशेखर आजाद ने अपना नाम ‘आजाद’ बताया और पिता का नाम स्वतंत्र बताया जब इनसे घर के बारे में पूछा गया तो जेल को अपना घर बताये. क्या आज उन्हें वो सम्मान दिया जाता है जो देश के लिए चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi) जैसे महान सेनानियों ने इस देश के लिए अपना बलिदान दिया है. अंग्रेजी अफसर ने एक बयान में कहा की जब वो घर पर खाना खा रहे थे तो उन्हें एक फोन आया कि चंद्रशेखर आजाद अल्फ्रेड पार्क में अपने साथियों के साथ योजना बना रहे हैं उस मुखबिर गद्दार का पता आज भी नहीं लग पाया कि वो गद्दार कौन था.

 

चंद्रशेखर आजाद क्रन्तिकारी जीवन

चंद्रशेखर आजाद के क्रन्तिकारी जीवन की शुरुआत 1919 में जालियावाला बाग अमृतसर में अंग्रेजो द्वारा किये गए क्रूर अत्याचार से हुई. इस घटना से चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi) अत्यंत दुःखी हुए. इस घटना में अंग्रेजों ने निर्दोष भारत की जनता के ऊपर गोली चला दी जिसमें सैकड़ो लोग मारे गए. जालियावाला बाग हत्याकांड का बदला लेने के लिए चंद्रशेखर आजाद ने असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया. 1922 में चौरी चौरा काण्ड में अंग्रेजो का विरोध करते हुए ट्रेन को लूट लिए और आग लगा कर 22 अंग्रेजी पुलिस कर्मियों को जिन्दा मार दिए इस घटना के बाद गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया और बिना किसी कांग्रेसी नेता से बात किये. गाँधी जी के इस वर्ताव से रामप्रसाद बिस्मिल अत्यंत दुःखी हुए और एक क्रन्तिकारी दल हिंदुस्तान रिपब्लिकन असोसिएशन की स्थपना किये. इस क्रन्तिकारी दल से चंद्रशेखर आजाद भी जुड़े. चंद्रशेखर आजाद काकोरी काण्ड में 9 अगस्त 1925 को ट्रेन में अंग्रेजों के ख़ज़ाने और हथियार लूट लिए. काकोरी काण्ड में चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी, अस्फाकउल्लाह खां, रोशन सिंह, भगत सिंह शामिल थे. इसके लिए रामप्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी, अस्फाकउल्लाह खां, रोशन सिंह को फांसी दें दी गयी.

 

30 अक्टूबर 1928 को जब साइमन कमीशन लाहौर पहुंचा तो लाला लाजपत राय के नेतृत्व में एक शांतिपूर्ण तरिके से किये जा रहे धरने में ‘साइमन कमीशन गो बैक’ का नारा लगा रहे लोगों पर अंग्रेजों के द्वारा लाठी चार्ज कर दिया गया जिसमें एक अंग्रेजी सैनिक ने लाला लाजपत राय के ऊपर लाठी चला दिया इसमें लाला लाजपत लहूलुहान हो गए तब उन्होंने कहा ‘मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक चोट ब्रिटिश सम्राज्य के कफन की कील बनेगी‘ और उनकी मृत्यु हो गयी. इस घटना से चंद्रशेखर आजाद ने भगत सिंह के साथ सांडर्स हत्याकांड में भी शामिल रहे क्यूंकि अंग्रेजी सैनिक सांडर्स ने लाठीचार्ज का आदेश दिया था.

 

27 फरवरी बलिदान दिवस

भारत के वीर सपूत चंद्रशेखर आजाद 27 फरवरी 1931 को पंडित जवाहर लाल नेहरू से मिलने आनंद भवन भी गए लेकिन उन्होंने इनकी बात को सुनने से इंकार कर दिया जिससे चंद्रशेखर आजाद नाराज होकर चले आये और अपने साथी सुखदेव के साथ अल्फ्रेड पार्क में आगे की योजनाओं पर बात कर रहे थे तभी अंग्रेजी सिपाही उन्हें चारों ओर से घेर लिए और नाट वावर ने सरेंडर करने को कहा लेकिन चंद्रशेखर आजाद ने सुखदेव को भगा दिया और अकेले अंग्रेजों का सामना किये. 5 गोली से 5 अंग्रेजी सिपाही को मार गिराए अंत में आखिरी गोली अपने कनपटी पर रखी और गोली चला दी.

 

इस तरह 27 फरवरी 1931 को चंद्रशेखर आजाद ने देश के लिए अपने बलिदान दिया और नारा दिया ‘आजाद थे, आजाद हैं, आजाद रहेंगे’. चंद्रशेखर आजाद से अंग्रेजी सेना में बहुत ज्यादा दहशत थी. इसलिए अंग्रेजी सैनिक उन्हें सजा देने के लिए ज़िंदा या मुर्दा पकड़ने का आदेश दें दिया लेकिन जब आजाद ने खुद को गोली मारी उस समय अंग्रेजी सैनिक उन्हें देखने भी नहीं जाते थे की कही वो ज़िंदा तो नहीं है इतनी खौफ थी अंग्रेजों में भारतीय क्रन्तिकारी को लेकर हम देश में ऐसे वीर सपूत का चंद्रशेखर आज़ाद को देश कभी भूल नहीं पायेगा.

 

FAQs :

Q. चंद्रशेखर आजाद कौन थे ?

Ans :- भारतीय क्रन्तिकारी (सेनानी)

 

Q. चंद्रशेखर आजाद का जन्म कब हुआ था?

Ans :- 23 जुलाई 1906

 

Q. चंद्रशेखर आजाद के पिता का क्या नाम था?

Ans :- सीताराम तिवारी

 

Q. चंद्रशेखर आजाद की माता का क्या नाम था?

Ans :- जगरानी देवी

 

Q. चंद्रशेखर आजाद की मुखबिरी किसने की थी?

Ans :- भारतीय व्यक्ति ने (अज्ञात है लेकिन इसके बारे में नाट वावर अंग्रेजी ऑफिसर ने बताया)

 

Q. चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि कब मनाई जाती है?

Ans :- 27 फरवरी

 

Q. चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु कब हुई थी?

Ans :- 27 फरवरी 1931.

 

Q. चंद्रशेखर आजाद का जन्म कहां हुआ था?

Ans :- वर्तमान मध्यप्रदेश.

 

Q. क्या चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह कभी मिले थे?

Ans :- हां चौरी चौरा काण्ड के बाद.

 

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