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Environment And Ecology in Hindi | पर्यावरण एवं परिस्थितिकी हिन्दी में

पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) :

जीव और उसके चारों ओर फैला हुआ वातावरण जिसमें वह निवास करता है उस वातावरण के पारस्परिक संबंधों के अध्ययन को पारिस्थितिकी कहते हैं |

इकोलॉजी (Ecology) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग रेटर नामक एक जंतु विज्ञानी ने किया |
हालांकि शुरुआत में “Oekologie” कहा गया था परंतु बाद में विस्तृत रूप से इकोलॉजी (Ecology)  शब्द का प्रयोग सबसे पहले अर्नस्टहिकल नामक वैज्ञानिक ने किया और इन्होने यह बताया की Logos का अर्थ है – अध्ययन करना |

” समस्त जीव धारियों के कार्बनिक और अकार्बनिक वातावरण तथा पारस्परिक संबंध के बारे में अध्ययन करना पारिस्थितिकी [ Ecology ] है |”

प्रत्येक जीवधारी का जीवन उसके आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है | अर्थात आसान शब्दों में कहें तो पेड़ पौधे एवं जंतु हमेशा अपने आसपास के या अपने चारों ओर के वातावरण से प्रभावित होते हैं इनका जीवन पूरी तरह से वातावरण की अनुकूलता पर निर्भर करता है |

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अब प्रश्न बनता है कि पारिस्थितिकी तंत्र किसे कहते हैं
What is Ecosystem ?

किसी क्षेत्र में रहने वाले समस्त जीव एवं जंतु एक दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर होते हैं अर्थात अकेले व कार्य नहीं करते हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि वह एक दूसरे पर विभिन्न प्रकार से प्रभाव डालते हैं वास्तव में देखा जाए तो पारिस्थितिकी तंत्र प्रकृति की एक क्रियात्मक इकाई कही जा सकती है |
देखा जाए तो पृथ्वी सबसे बड़ी पारिस्थितिक तंत्र है जिसमें समस्त जीव सूर्य द्वारा प्राप्त ऊर्जा पर पूरी तरह से निर्भर होता है | पृथ्वी पर जलमंडल, स्थलमंडल और वायुमंडल पाया जाता है जो जीवन के लिए उत्तरदाई है |

पारिस्थितिकी तंत्र की परिभाषा टेंसले ने निम्न प्रकार दी है –

” पारिस्थितिकी तंत्र वह तंत्र है जो वातावरण के अन्तर्गत जीवीय तथा अजीवीय सभी कारकों के परस्पर संबंधों तथा प्रक्रियाओं द्वारा प्रकट होता है |”

प्रश्न – पारिस्थितिकी तंत्र की विचारधारा सर्वप्रथम किसने प्रस्तुत किया ?
उत्तर – ए. जी. टेंसले ने 1935 में |

प्रश्न – विश्व का प्रथम पारिस्थितिकी विज्ञान का पितामह किसे कहा जाता है ?
उत्तर – थियोफ्रेस्ट्स को |

प्रश्न –  ‘oecologic’ शब्द की व्याख्या सर्वप्रथम किसने दी ?
उत्तर – अर्नेस्ट हैकल ने 1869 में |

आप को समझाने के लिए हमने नीचे पारिस्थितिकी तंत्र के घटक को विभिन्न वर्गों में विभाजित किया है उम्मीद है आपको पढ़ने में आसानी होगी |

आइए परिस्थितिक तंत्र के महत्वपूर्ण घटक के बारे में चर्चा करते हैं –

 उत्पादक :

उत्पादक एक अंग्रेजी शब्द “Producer” का अर्थ है | उत्पादक हम उन्हें कहते हैं जो सूर्य के प्रकाश में अपना भोजन स्वयं बनाते हैं जैसे पेड़ पौधे सूर्य के प्रकाश में अपना भोजन खुद ही बनाते हैं इन्हें प्राय: मूल उत्पादक ( Primary Producer ) कहते हैं |

पौधों में सूर्य के प्रकाश में भोजन बनाने के कारण वृद्धि और प्रजनन होता है इस क्रिया में देखा जाए तो ऑक्सीजन वातावरण में रिलीज होती है अर्थात मुक्त होती है | पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं ऑक्सीजन छोड़ते हैं, ऑक्सीजन विभिन्न जंतुओं के जीवन के लिए बहुत जरूरी है |

दूसरे शब्दों में कहें तो जंतु परपोषित ( Heterotrophic ) कहलाते हैं इन्हें ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह पौधों द्वारा बनाए गए भोजन को ग्रहण करते हैं जिससे इन्हें  प्रोटीन और वसा  प्राप्त होती है जो उनमें वृद्धि के लिए उपयोगी होता है |

उपभोक्ता ( Consumer ) :

प्रायः सभी जंतुओं के ऊर्जा का मुख्य स्रोत प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से पौधे को ही माना जाता है |

इस आधार पर उपभोक्ताओं को निम्न वर्गों में बांटा गया है –

(1) प्राथमिक उपभोक्ता

(2)  द्वितीयक उपभोक्ता

(3) तृतीयक उपभोक्ता

प्राथमिक उपभोक्ता (Primary Consumer) :

प्राथमिक उपभोक्ता में वे जंतु आते हैं जो पौधों की कोमल पत्तियों को खाते हैं इसलिए इन्हें शाकाहारी भी कहते हैं जैसे – टिड्डा, कीड़े मकोड़े, बकरी और खरगोश आदि |

द्वितीयक उपभोक्ता (Secondary Consumer) :

इनमें इनमें वे जंतु आते हैं जो उन जंतु या जीवो को खाते हैं जो शाकाहारी है | इसलिए इन्हें द्वितीयक उपभोक्ता कहा जाता है |

जैसे – शेर, चीता, मेंढक आदि |

तृतीयक उपभोक्ता :

इसमें इसमें वे जंतु आते हैं जो दूसरे मांसाहारी जानवरों को खाते हैं | उदाहरण के लिए सांप मेंढक को खाता है और अंकित सांप को खाता है |
 

अब आपके मन में यह प्रश्न आ रहा होगा कि मनुष्य किस श्रेणी में आता है आइए इस पर भी चर्चा करते हैं –

Ecology & Ecosystem | पारीस्थितिकी तंत्र क्या है ? पर्यावरण एक नजर प्रकृति की ओर

उच्च मांसाहारी या सर्वाहारी :

इस श्रेणी में वे सभी जंतु आते हैं जो प्राथमिक द्वितीय एवं तृतीय उत्पादक अथवा सभी से अपना भोजन प्राप्त करते हैं उन्हें सर्वाहारी कहा गया |

जैसे –    घास > कीड़े > चिड़िया > सांप > मोर  > मनुष्य

उदाहरण में आपने देखा कि घास को कीड़े खा रहे हैं और कीड़ों को चिड़िया खा रही है, चिड़िया को सांप खा रहा है तो सांप को मोर और मनुष्य सभी चीजों को खा रहा है इस लिए मनुष्य सर्वाहारी हुआ |

अपघटनकर्ता (Decom Posers) :