Main factors affecting growth : इस लेख में आप बालक के विकास को प्रभावित करने वाले कारक (factors affecting growth) के बारे में जानेंगे। विकास एक सतत चलाने वाली प्रक्रिया है तथा इसमें विकास के स्वरूप, गति को अनेक कारक प्रभावित करते हैं। विकास की भिन्न-भिन्न अवस्थाओं में, भिन्न-भिन्न पक्षों के लिए भिन्न-भिन्न कारक जिम्मेदार होते हैं। जिन कारकों की वजह से विकास की प्रक्रिया में परिवर्तन होते है।
Main factors affecting growth | विकास को प्रभावित करने वाले कारक
विकास की प्रक्रिया गर्भधारण से लेकर मृत्यु तक चलती है। विकास की गति व्यक्तिगत अन्तर से भी प्रभावित होती है। विकास की प्रक्रिया सिर पैर की ओर होती है लेकिन बुद्धि का विकास मूर्त से अमूर्त की ओर होती है।
बालक के विकास को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते है –
- वंशानुक्रम (Heredity)
- वातावरण (Environment)
- वृद्धि (Growth)
- लैंगिक विभिन्नता
- अंतःस्त्रावी ग्रन्थियां
- बुद्धि
- पौष्टिक आहार
- अभिप्रेरणा
- परिवार की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति
- शारीरिक बनावट आदि।
विकास को प्रभावित करने वाले कारक – factors affecting growth
बालक के विकास को प्रभावित करने वाले करकों की विस्तृत जानकारी.
वंशानुक्रम (Heredity)
बालक के विकास में वंशानुक्रम का महत्वपूर्ण योगदान होता है। माता पिता के गुण उनके जीन द्वारा बालक में भी दिखाई देतें है और इसकी चर्चा भी होती है कि ये बच्चा तो अपनी माँ, पिता, दादा, दादी पर गया है। लेकिन कभी कभी माता या पिता किसी में कोई रोगी हो या विकलांग या कोई उनकी तार्किक क्षमता बच्चे में परिलक्षित होती है। इस कारण वंशानुक्रम विशेष रूप से बालक के विकास को प्रभावित करता है।
वातावरण (Environment)
बालक के विकास में वातावरण की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। बालक जिस भौतिक वातावरण में रहता है वहां का मौसम, तापमान, समाज, संस्कृति भी उसे प्रभावित करती है। ये उनके संवेगात्मक, समाजिक, शारीरिक विकास, मानसिक विकास को प्रभावित करती है। अधिगम और विकास जटिल रूप से अंत: सम्बंधित होती है।
वृद्धि (Growth)
वृद्धि में उसके शारीरिक बनावट पर प्रभाव पड़ता है। ये कहीं ना कहीं बालक के मानसिक विकास पर भी दबाव बनती है कि उसकी शारीरिक बनावट अच्छी नहीं है या विकलांग है या उसे ऐसा होना चाहिए तो इस तरह बालक के विकास में वृद्धि भी प्रभावित होती है इसमें उसका वातावरण, रोग, परिवारिक वातावरण मुख्य होते है।
लैंगिक विभिन्नता
लैंगिक विभिन्नता के आधार पर अन्तर करना या अन्तर होना भी बालक के विकास को प्रभावित करती है। लिंग के आधार पर बालक में भेद नहीं होना चाहिए जैसे – लड़का, लड़की में लिंग जनित अन्तर करना भी उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित करता है। बालकों की अपेक्षा बालिकाओं में मानसिक विकास पहले पूर्ण होता है। बालिकाओं में परिपक्वता के लक्षण पहले विकसित होते है।
अंतःस्त्रावी ग्रन्थियां
बालक के शरीर के अंदर अनेक अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियाँ कार्यरत होती हैं। इन ग्रंथियों का बालक के विकास पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे बालक जिनमे थायरोक्सिन (Thyroxin) का स्त्राव कम होता है, उनके मानसिक विकास की गति धीमी होती है।
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बुद्धि
तीव्र बुद्धि बालक में समाजिक, संवेगात्मक, संज्ञानात्मक विकास अधिक देखा जाता है, वही मंद बुद्धि, औसत से कम बुद्धि बालक में ये विकास कम दिखाई देता है।
पौष्टिक आहार
पोषण अथवा पौष्टिक आहार बालक के विकास और वृद्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। सही खाद्य तथा पेय पदार्थ से प्राप्त होने वाले रासायनिक पदार्थ कोशिकाओं के निर्माण, मरम्मत के लिए एवं शारीरिक क्रियाओं को उपयोग में लाने के लिए अपेक्षित पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
अभिप्रेरणा
शारीरिक और बौद्धिक विकास के लिये अभिप्रेरणा अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि शारीरिक विकास, अच्छा खाना-पीना, स्वस्थ जीवन आदि से बालक गति प्राप्त करता है तो वहीं बौद्धिक विकास शैक्षिक साधन, पुरस्कार, पदोन्नति आदि कारकों से अभिप्रेरित भी होता है।
परिवार की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति
बालक के शारीरिक और मानसिक विकास में परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का गहरा प्रभाव पड़ता है। संपन्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति में पले-बढ़े बालक का विकास, निम्न सामाजिक आर्थिक स्थिति के बालक से अपेक्षाकृत अधिक अच्छा होता है।
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