Rajiya Sultan – Dilli Saltnat in Hindi
दिल्ली सल्तनत का इतिहास –
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रजिया सुल्तान –
दिल्ली सल्तनत के इतिहास की घटना का पहला क्रम हमने आपके साथ पिछले लेख PART-1 के माध्यम से शेयर किया था, दिल्ली सल्तनत में इल्तुतमिश के मृत्यु के बाद उसके पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज शाह को वहां के अमीर परिवार के लोगों ने गद्दी पर बैठा दिया |
जबकि रुकनुद्दीन फिरोज शाह एक अयोग्य शासक पाया जाता है क्योंकि इल्तुतमिश ने अपनी पुत्री रजिया सुल्तान को अपने साम्राज्य का उत्तराधिकारी चुना था इस बात को लेकर रजिया सुल्तान और रुकनुद्दीन में संघर्ष चल रहा था कि राज्य में विद्रोह फैल गया हालांकि इस समय शासन की बागडोर शाह तुर्काना के हाथ में थी, परंतु शाह तुर्काना एवं उसके पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज शाह का क्रूर शासन पूरे राज्य में विद्रोह का कारण बन गया, रुकनुद्दीन फिरोज शाह विद्रोह को दबाने के लिए दिल्ली से बाहर जैसे ही कदम रखता है, रजिया सुल्तान लाल वस्त्र धारण करके (न्याय का प्रतीक माना जाता था) दरबार में न्याय मांगने चली आती है वहां के लोगों ने रजिया सुल्तान का समर्थन किया और रुकनुद्दीन फिरोज शाह के दिल्ली लौटने से पहले ही रजिया सुल्तान दिल्ली (Dilli Saltnat in Hindi) की गद्दी पर बैठ जाती है |
रुकनुद्दीन फिरोज शाह के दिल्ली लौटने पर उसे बंदी बना दिया जाता है और उसकी हत्या कर दी जाती है | रजिया सुल्तान दिल्ली सल्तनत के इतिहास में पहली और अंतिम ऐसी मुस्लिम महिला शासिका बनी जिस में दिल्ली पर अधिकार किया था |
रजिया सुल्तान ने महिलाओं के वस्त्र का त्याग कर दिया और पुरुषों के वस्त्र में दरबार में आने लगी
हालांकि रजिया सुल्तान 1236-1240 तक ही शासन चला सकी क्योंकि वहां के सरदारों ने रजिया सुल्तान के भाई बहराम शाह को गद्दी पर बैठा दिया इस समय रजिया सुल्तान को तबरहिंद की शरण में जाना पड़ा और वहां पर उसने तवरहिंद के इक्तादार अल्तूनिया के साथ विवाह किया और पुनः दिल्ली की गद्दी को प्राप्त करने का प्रयास किया परंतु असफल रही अल्तूनिया और रजिया सुल्तान की हत्या उसके भाई बहराम शाह ने कर दी |
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मोइजुद्दीन बहराम शाह – (1240-1242 ई.)| Dilli Saltnat in Hindi
रजिया सुल्तान के बाद दिल्ली की गद्दी पर बहराम शाह को बैठाया गया, बहराम शाह ने नायब ये मुम्लकात पद की स्थापना की और इस पद पर दो अन्य लोगों को नियुक्त कर दिया जिनको यह बताया गया कि वह सभी या अधिकारों के स्वामी हैं, अब यह विद्रोह का कारण भी बन गया क्योंकि अब सत्ता में तीन दावेदार आ चुके थे नायब, वजीर और सुल्तान स्वयं | 1241 ई. में तुर्क सरदारों द्वारा बहराम शाह की हत्या कर दी जाती है |
अलाउद्दीन मसूद शाह – (1242-1246 ई.) | Dilli Saltnat in Hindi
बहराम शाह की मृत्यु के बाद अलाउद्दीन मसूद शाह ( बहराम शाह का पौत्र ) को दिल्ली की गद्दी पर बैठा दिया जाता है परंतु यह एक नाम मात्र के लिए सुल्तान था सभी शक्तियां वहां के 40 सदस्यों तक सीमित थी, बलबन ने मसूद साहब के विरुद्ध एक षड्यंत्र रचा और नसीरूद्दीन महमूद को सुल्तान न्यूक्त कर दिया |
नसीरूद्दीन महमूद – (1246-1265 ई.) | Dilli Saltnat in Hindi
नसीरूद्दीन महमूद बहराम शाह का हाकिम एवं इल्तुतमिश का प्रपौत्र था हालांकि इसके पास शक्ति के अधिकार कम थे सारी शक्तियां बलबन के हाथों में थी लेकिन बलबन ने अपनी पुत्री का विवाह नसीरुद्दीन महमूद के साथ कर दिया था जिससे कि वह सत्ता पर अधिकार बना सके, इस कारण नसीरूद्दीन महमूद ने बलबन को उलूग खां की उपाधि प्रदान की परंतु मुस्लिमों में दो दल बनने लगे इस कारण बलबन सुल्तान की हत्या करके गद्दी पर बैठ जाता है |
गियासुद्दीन बलबन – (1265-1287) | Dilli Saltnat in Hindi
- जीतले इलाही की उपाधि बलबन ने खुद को दी और इसने तुर्कों का प्रभाव कम करने के लिए सिजदा ( घुटनों पर बैठकर सर झुकाने ) तथा पैबोस (पैर को चूमना) का प्रचलन अनिवार्य कर दिया |
- इसने तुर्कान ए चहलगानी को खत्म कर दिया और फारसी रीति -रिवाजों के हिसाब से नवरोज त्योहार को मनाना शुरू कर दिया | बलबन ने लौह एवं रक्त नीति को मानने के लिए आदेश दे दिया |
कैकुवाद और क्यूमर्स – (1287-1290) | Dilli Saltnat in Hindi